Friday, May 15, 2020

                        ओरछा के राजा राम 
मध्यप्रदेश में स्थित ओरछा एक छोटा सा शहर है, जो जिला टीकमगढ़ के अंतर्गत आता है। यह शहर अपने भव्य मन्दिरों और किलों के विश्व विख्यात है। यहां के भव्य शहरों और किलों को देखने हर रोज हजारों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं। भव्य किलों और मन्दिरों के अलावा ओरछा की एक और जगह है जो इसे पर्यटकों के बीच अनूठी जगह बनाती है, और वह है राजा राम मंदिर। जी हां, भगवान राम का मंदिर, जिन्हें यहां राजा समझकर पूजा जाता है और दिन में पांच बार पुलिस द्वारा गार्ड और ऑनर भी दिया जाता है। आपको जानकर हैरानी की, भगवान राम को ऑनर ऑफ़ गार्ड देने की परम्परा करीबन 400 साल पुरानी है





 राजा राम मंदिर ओरछा में स्थित राजा राम मंदिर को ओरछा मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर में भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है, और दिन के पांचो पहर उन्हें गार्ड ऑफ़ ऑनर प्रदान दिया जाता है।


आखिर कैसे बने भगवान राम ओरछा के राजा?

संवत 1600 में तत्कालीन बुंदेला शासक मधुकर शाह की पत्नी महारानी कुंअरी गणेश स्वयं राजा राम की मूर्ति को अयोध्या से ओरछा लेकर आई थीं। एक दिन राजा ने अपनी रानी को कृष्ण उपासना के लिए वृंदावन चलने को कहा लेकिन रानी, जो कि राम की भक्त हो गई थीं, वे उन्हें छोड़कर जाना नहीं चाहती थीं।राजा ने भी क्रोध में कहा कि अगर तुम श्रीराम की इतनी ही बड़ी भक्त हो तो तुम उन्हें ओरछा ले आओ। 


  रानी ने अयोध्या में ही रहते हुए सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपने लिए एक कुटिया बनाई और उसी में रहकर श्रीराम की साधना आरंभ की। उस समय संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में ही साधना में लीन थे। तुलसीदास ने रानी को आशीर्वाद दिया, लेकिन इसके बाद भी लंबे अर्से तक तप करने के बाद भी रानी को राम के दर्शन नहीं हुए। वह निराश होकर सरयू नदी में ही अपने प्राण त्यागने के उद्देश्य से बहते जल में कूद गईं। उस जल की गहराई के भीतर ही रानी को भगवान राम के दर्शन हो गए और उसी समय रानी ने श्रीराम को अपने साथ ओरछा चलने के लिए कहा।   उस समय भगवान राम ने उनसे एक शर्त रखी थी कि वे तभी ओरछा जाएंगे जब उस राज्य में उन्हीं की सत्ता कायम हो जाएगी और राजशाही का अंत हो जाएगा। रानी ने श्रीराम की यह शर्त मान ली और उन्हें अपने साथ ओरछा लेकर आ गईं। तब से लेकर अब तक सिपाही से लेकर आम जनता तक श्रीराम को भगवान राम नहीं बल्कि राजा राम की तरह सम्मान देते हैं


 


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