Saturday, May 9, 2020

                         प्रानन से प्यारी


 1देखो, ठांड़ी खेत रखा रई रमुआं की घरवारी
अपने सास-ससुर, प्रीतम की, वा प्रानन से प्यारी ।।
2. तिरछी हेरन, निगन अनौखी वनक, ठनक है वांकी
छलक जात है घुंग्टा में हो गोरे मुख की झांकी।
जैसई रूप और रंगवारी वैसई है गुनवारी
अपने सास-ससुर, प्रीतम की वा प्रानन से प्यारी।।

3. पथरा धर गुथना के भीतर हाथ घुमा फटकारे
देखे होत उजार खेत में वा तुरतई ललकारे
ठांड़ी रहे मेड़ पे दिन भर करत खेत रखवारी
अपने सास-ससुर, प्रीतम की वा प्रानन से प्यारी।।
4. रोज पिसान पसैरक पीसत आलस तनकउं नईंयां।
अपने हाथन बीन लियावे कण्डा और नकईयां।
टोर खेत से खुदई लिआवे मनमानी तरकारी
अपने सास-ससुर, प्रीतम की वा प्रानन से प्यारी।।
5. नाक नथनियां नौनी दमके झुंमकन मुतियां चमके।
ककरा डारे पांव पैज़नी खूब खनाखन खनके।
नौ लर की करदौनी नौनी करया कसी निआरी
अपने सास-ससुर, प्रीतम की वा प्रानन से प्यारी।।
6. हांथन हंसिया लेय लछारो चारौ काॅटन जावै।
हरष, हरष के चारौ काटे हंस, हसंके वा गावे।
लट, लटके गालन के ऊपर चुटिया नागन-कारी।
अपने सास-ससुर, प्रीतम की वा प्रानन से प्यारी।।
7. चटक चाल चलवै चटकीली बिछिअन छमक सुनौवे
हिरनी नाई नैननवारी सेनन से मुस्कावै।
कौउ कहे किशोरीबाई कोउ कहे झलकारी
अपने सास-ससुर प्रीतम की वा प्रानन से प्यारी।

No comments:

Post a Comment